Wednesday, May 18, 2011

दुःख-01

छू नहीं सकता
अँधेरा कसैला
हृदय के गिर्द !

छू नहीं सकता
गले को छीलती
सांस अटकी !

छू नहीं पाता
निपट लिपटा दुःख !

3 comments:

  1. satik baat
    aapko man me kya chlta hai aur sharir uski pratikriya kaise deta hai khub pta hai...
    dukh vvakyi aise hi lagta hai.

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  2. thats the mood and topics which have surrounded me.

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