देर तक
पौध हिलती रही
चाँद बड़ा होकर निकला
देर तक हवाओं को
दुलराया हमने
अल्लसुबह आज नींद तोड़ी हमने
तड़के फिर खुद को भरमाया!
उदासी
सूर्य किरणों सी
छन छन के बही !
रौशनी लायी खालीपन फिर से
फिर उदास खुद को पाया हमने
१. पूछो राम कब करेगा यह कुछ काम । २. कर दे सबको रामम राम सत्य हो जाए राम का नाम उसके पहले बोलो इसको कर दे यह कुछ काम का काम । ३. इतना ...
mujhe aisa lagta hai ki result ki khushi mein aapa kavita lekhan kuchh badh gaya hai aur din par din aur behtar bhi hota jaa rahaa hai..
ReplyDeletebahut sundar likha hai..hope to read more beautiful poems by u bt wid positive approach..
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ReplyDeletea nice poem.
ReplyDeletekeep it up.