क्यूँ कर
तुम्हे यकीं आये
तुमने नहीं देखा
स्याह-सफ़ेद/ रंगहीन कैनवास
हाँ या ना में नहीं सिमटी
तेरी दुनिया !
कांच सब कुछ है
पारदर्शी के सिवा
झूठ नहीं सच का विलोम
प्रतिसच सच्चाई है
तुम्हारी !
क्यूँ कर
तुम्हे यकीं आये
कोई है
नापता जो
ब्रह्मांड दित्व में केवल.
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