रजनीकान्त
मेरा नाम!
मुझे नहीं पसंद
बोल या सुन नहीं बजता सितार!
यूँ सितार भी नहीं पसंद मुझे!
पसंद नहीं मुझे मेरा नाम
चाँद का अर्थ निकलता है
चाँद नहीं रहा मेरी पसंद
पसंद है सूर्य बनस्पत
चाँद के धब्बों
से उजाला होता है खंडित
नहीं चाहिए मुझे धब्बे खुद पर
चाँद नहीं
माँ भी कहती है मुझे शंकर
धुल धूसर से सना है जीवन
माँ कहती है
पचा जाता हु मै जहर
जनता हु मै लेकिन बस में नहीं विष सारे
मन कहता है
रोक लो
विषम यह हलाहल
कंठ में एक दाग
हो सकता है जीवनदायी
मै नहीं रोकता
ख़त्म हो जाने दो
फ़ैल जाने दो जहर
खुद पर दाग पसंद नहीं मुझको
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