१-
ढल गया
ओस कतरन-सा
समय
हो संघनित
हो गया है ख़त्म
बिना छाप छोड़े अपनी
२-
समय का एकायाम
इंतेज़ार
समय से परे
मिलाप !
३-
रेल मुसाफिर सा
स्थिर, फिर भी विस्थापित
अक्सर आउटर पर खड़ा
इंतज़ार बारी का
भागते पेड़
खिड़की से परे
वस्तुतः खड़े है वही
जैसे
समय / गतिहीन सदा
wah.....
ReplyDeletebahut sundar