कितनी ही बार
उसी गुफा से गुज़रा हूँ मै
स्याह हर बार स्याह
उतना ही अबूझ
यातना की गुफा
चाट जाती है हर बार ही
प्राण- रस
जीवन बाती
बुझ जाती है
निगलता,वमन करता
हर बार ही स्याह
यातना की गुफा से
जब भी गुजरता हूँ मै!
१. पूछो राम कब करेगा यह कुछ काम । २. कर दे सबको रामम राम सत्य हो जाए राम का नाम उसके पहले बोलो इसको कर दे यह कुछ काम का काम । ३. इतना ...
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