अजीब है !
प्रेम रहा कल्पना केवल
टूट जाना इसका केवल सच!
मदिर या मधुर
किन्ही नयन से न संभाषण
न स्पर्ष
न आलिंगन
वाचाल वा गोपन
न कोई ध्वनि श्रृंगार रहा
प्रेम रहा कल्पना केवल!Publish Post
चक्षु कोनो का तरल रहना
कंठ से सीने तक जलन केवल
नींद विस्मरण व स्वप्न मरण
प्रेम रहा कल्पना केवल
टूट जाना इसका केवल सच!
beautiful....and absolutely true.....
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