१.
ताड़ की झाड़
आकाश मेरा;
ताड़ पर ही अटका
न गिरा न चढ़ा
धरती औ आकाश
दोनों नहीं मेरे !
२.
किरकिर कंकड़
अनाम अरूप
अव्यवस्थित
ठोस !
स्वीकार्य/मैं/नहीं
तरल जो कभी;
केवल चक्षु कोनो पर फंसे
जल सा
न आंसू
न हया
तरल जो कभी;
अनाद्रित
मैं!
१. पूछो राम कब करेगा यह कुछ काम । २. कर दे सबको रामम राम सत्य हो जाए राम का नाम उसके पहले बोलो इसको कर दे यह कुछ काम का काम । ३. इतना ...
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