Saturday, May 14, 2011

समय---तीन कवितायेँ और..!

१-
करता नट-क्रिया
समय,

नौशिखिया सा !

बाँध मन 
दो छोरों  पर
मै दर्शक हूँ
बिगड़ी ताल
साधते समय का!

विजड़ित मै
तनित मन
डगमगाता समय
मूल्य हीन नहीं,ये 
मनोरंजन! 



3 comments:

  1. bahvana ye meri kamzori hai ki samay ko jis angle se mai samajhna chahta hu use abhivyakta nahi kar paa rha hu

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  2. samajh me mujhe bhi nahi aya?
    aapki modesty hai ki aap khud ko incapable kah rahe ho
    mujhe lagta hai hindi thodi kamjor hi hai hamari

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