बार बार दूर तक दिखता है पानी
नदी फैल गई हो
या
सागर निकल आया हो बाहर।
अंत आता सा लगता है अपना
फिर दिखने लगता है
मस्तूल एक नाव का।
क्या तुम भी हो
लपेटे एक सफेदी
यह पूछते,
मोगरे की खुश्बू फैल जाती है।
क्या पास ही हो तुम।
नदी फैल गई हो
या
सागर निकल आया हो बाहर।
अंत आता सा लगता है अपना
फिर दिखने लगता है
मस्तूल एक नाव का।
क्या तुम भी हो
लपेटे एक सफेदी
यह पूछते,
मोगरे की खुश्बू फैल जाती है।
क्या पास ही हो तुम।
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