Saturday, January 30, 2021

रहने दो हमको अपनी ही फुर्सत में

1. 

साधारण रह जाना,

परिचित बरामदों में रह जाना अनचिह्ना 

साधारण बात है 

और साधारण बातों की की तरह ही,

सहज। 


2. 

चकाचौंध की रौशनी पराई है, 

प्रसिद्धि की, सफलता की 

और  हम रह जाते चाँदनी की छाया में श्वेत वस्त्र भूतों से। 

कृत्रिम निर्मितियों की के प्रेत द्वार 

क्या ही ज़रूरी हैं। 


3. 

पहाड़ में पहाड़ी से, मैदान में मैदानी 

वंचित महत्त्व से, अर्थ की आभा से 

रहने दो हमको 

अपनी ही फुर्सत में। 



Wednesday, January 27, 2021

1. 

कुछ भी नहीं था .

इक शिकायत रही, कभी कुछ न रहने की.

कुछ नहीं था, फिर 

 वह लगा छीनने,सब, 

जो घुल मिल गए थे हममें

एक एक करके,

ख्वाब, आज़ादी, हक़ और बराबरी .  


2. 

आश्चर्य के, फिर दैन्य के, गीत लिखे हमने 

भरी फिर, विरोध की हुंकार। 

अब बारी थी आवाज़ की, 

आवाज़ छीने जाने की 

हमारे शब्दों पर हमारे दृश्यों पर, हमारे चित्रों पर

कर गूंगा हमें,

उसके गीत गाये जाने की .


3. 

यह दिन थे जब हम मौन हुए 

और साफ़, बिलकुल साफ़ गूंजने लगा उसका अट्ठास. 

Monday, January 25, 2021

1.

उदासी के उदास ख्यालों संग 

ज़िन्दगी चुप गा रही होती है मौत की धीमी धुन 

और जब, व्यर्थ बीत जाने का गीत लिख रहा होता है 

मुझे 

आ जाती हो,

तुम। 


2. 

हर बार नई एक शाख पनपती है 

रोशनी फैलती है आहिस्ता 

तुम पसरती हो, मेरे होने में 

हर बार, एक अकेलापन चला आता है 

उजास ज़िन्दगी का, जम जाता है 

शैल बर्फ बेरंगा, बस हासिल। 



 

Friday, January 22, 2021

1.

सन्नाटे का संगीत 

कैनवास है ज़िन्दगी का 

बैकग्रॉउंड में रहती है 

निरंतर उदासी। 


2. 

धुंध तह धुंध,

अंधेरों की तह 

खिड़की के पास रुकी उदास रोशनी 

ठिठकी सिमटी सिकुड़ी 

खिन्न बैठी है ज़िन्दगी। 


3. 

ठण्ड में अँधेरे कमरे का कोना 

और मैं। 


बस इतनी ही कहानी। 

 

Sunday, January 17, 2021

वह दिन भी आएगा

 1. 

सुनाई देगी फिर आवाज़ 

छिप गई है जो,

तर्क की, संवाद की, जन की, जनतंत्र की। 


२. 

उम्मीद अच्छी चीज़ है 

मानना कि, दिन है तो रात भी 

उम्मीद रखना कि, बदलेगा वह या निज़ाम उसका। 


३. 

समय की पांत में 

वह दिन भी आएगा, नहीं होंगे वह 

छल्लों पर छल्ले बनते जाएंगे और उनकी दी चोट भी न पहचान में आएगी। 

Saturday, January 9, 2021

 1.

क़त्ल किया वक़्त का 

फिर जिया, 

शून्य में .


2.

तुमसे परे, मुझसे परे आदि अंत से परे 

शून्य में, 

जिया फिर .


3.

तुम घटे, हमसे

उपजा शून्य,

शून्य ही नियति अब . 






Thursday, January 7, 2021

 1.

बीतते जा रहे हैं सामने से,

खेत दर खेत 

खेत जो परती रह गए हैं 

खेत जो सोना हो गए हैं 

लग रही है लू 

अब जबकि बसंत आने वाला है 

दिख रहे हैं साल पिछले जो बीते निरंतर 

दिख रहा है 


जी रहे थे जिसे वह भ्रम था. 

बीत गए बीस वर्ष.


2.

चुप चाप बदल गया साल 

साल,

जिसे 2020 होना था.


वैभव का, उत्थान का साल.

Wednesday, January 6, 2021

 1.

भूगोल की किताब में लिखी हो शायद 

उम्र 

नदियों की 

बहते झरनों की,

लिखा हो शायद 

कौन युवा प्रौढ़ कौन, कौन मुग्धा.

समाज शास्त्र नहीं लिखता लेकिन 

लड़कियाँ जी रही होतीं हर अवस्था .


2.

खिले, अधखिले, अनखिले फूलों से 

चिड़िया से 

गंध से या स्वाद से 

तुलना बेमानी है, 

अर्थहीन हैं कविताएं. 


लड़कियों खुद उपमेय निज उपमान. 


3.

नदी, नदी है 

लडकियां, लडकियां 

नदी देख फिर भी याद आती हैं वह तमाम लडकियां 

जिनके भूगोल की किताब तक सिमटा है 

जीवन का अर्थशास्त्र.

Tuesday, January 5, 2021

 हांकता है मसीहा 

भेड़िये भी 

भेड़ भी 

एक सीध में, झुके सर चलते जाते हैं 

भेड़ भी, भेड़िये भी .


प्रजातंत्र का रामराज्य है . 


2.

उदास आँखों देखते हैं 

अँधा कुआँ, अथाह गहरा

और 

हुआँ हुआँ करते हैं .


हम वोटर, हम अनुचर, हम पब्लिक .


3.

एक लम्बी नींद में है 

तंत्र 

हमारे ख्वाब उसक

हमारा काम पिसना, पिस रहें हैं हम .

Sunday, January 3, 2021

१. 

बेमुरौवत निकले ख्वाब 

ख्वाब न आँखों से निकले 

रहे गए ख्वाब आँखों में 

न कोई और ठौर ठिकाना।  

२. 

वही दिन वही रात रहे। 

दिन और रात, समय सिमटा 

साल महीने हफ्ते बेमानी 

वही दिन वही रात रहे 

न बदला कुछ। 

३. 

नहीं पता, 

क्या नया साल का मतलब।  


 

Saturday, January 2, 2021

1.

इंतज़ार लम्बा 

पांच फुट पांच इंच 

हासिल सिफर। 


२. 

संभाल रखा मैं ताउम्र मैंने 

तमाम उम्र दूर रहा 

तुझसे 

खुदसे. 


3.

अंध कुआं जीवन 

दीखता मुझको 

धृतराष्ट्र न होने की कीमत .

१. पूछो राम  कब करेगा  यह कुछ काम । २. कर दे सबको  रामम राम  सत्य हो जाए राम का नाम  उसके पहले बोलो इसको  कर दे यह कुछ काम का काम । ३. इतना ...