Friday, June 5, 2015

पुनः पुनः

१. 
दिन ढला 
पुनः पुनः 
शाम से रात ही, समय का सफर। 

२. 

इंतज़ार 
पुनः इंतज़ार 
तुमसे मिलना ही, एकमेव ख्वाहिश। 

३. 

छपाक छपाक 
उम्मीदों का सफर 
तैरता मैं अंतहीन। 

Saturday, January 17, 2015

तुम्हारी कटान है या हीरे की आरी।

१. 
नशा ही नहीं,
खूबसूरत भी। 
अफीम है तो मज़ेदार।

२. 

इस पार से या उस पार से
परदा हटे तो 
दीदार भी हो। 

३. 

बहुत बारीक़ 
बहुत तेज़ 
तुम्हारी कटान है या हीरे की आरी। 

४. 

पसीना भी अच्छा 
फेरोमोन्स 
और स्वाद रंगीन। 

५. 

नमक इश्क़ का 
बेमुरौवत फीका 
चटक वासना की डली। 

Sunday, January 11, 2015

१. 

सिरों के परे, दिखती दुनिया विशाल,
सिरों  मध्य मैं झूला। 

२. 

अटक गया मध्य कहीं मैं,
ज़िन्दगी है कि डमरू कोई। 

३. 

दोनों छोर खुले  हुए 
कई कई छेदों से बजता मैं। 


१. पूछो राम  कब करेगा  यह कुछ काम । २. कर दे सबको  रामम राम  सत्य हो जाए राम का नाम  उसके पहले बोलो इसको  कर दे यह कुछ काम का काम । ३. इतना ...