Tuesday, January 5, 2021

 हांकता है मसीहा 

भेड़िये भी 

भेड़ भी 

एक सीध में, झुके सर चलते जाते हैं 

भेड़ भी, भेड़िये भी .


प्रजातंत्र का रामराज्य है . 


2.

उदास आँखों देखते हैं 

अँधा कुआँ, अथाह गहरा

और 

हुआँ हुआँ करते हैं .


हम वोटर, हम अनुचर, हम पब्लिक .


3.

एक लम्बी नींद में है 

तंत्र 

हमारे ख्वाब उसक

हमारा काम पिसना, पिस रहें हैं हम .

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