हांकता है मसीहा
भेड़िये भी
भेड़ भी
एक सीध में, झुके सर चलते जाते हैं
भेड़ भी, भेड़िये भी .
प्रजातंत्र का रामराज्य है .
2.
उदास आँखों देखते हैं
अँधा कुआँ, अथाह गहरा
और
हुआँ हुआँ करते हैं .
हम वोटर, हम अनुचर, हम पब्लिक .
3.
एक लम्बी नींद में है
तंत्र
हमारे ख्वाब उसक
हमारा काम पिसना, पिस रहें हैं हम .
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