था, उँगलियों में दर्द
पैर कुल्हाड़ी पर मारा
पेट दर्द पर..... सर पर चोट
दर्द का इलाज
बड़ा दर्द ले किया मैंने
ज़िन्दगी, तुमसे सीखा कुछ तो.......
१. पूछो राम कब करेगा यह कुछ काम । २. कर दे सबको रामम राम सत्य हो जाए राम का नाम उसके पहले बोलो इसको कर दे यह कुछ काम का काम । ३. इतना ...
well said..ek takleef ko bhoolne ke liye us sey badi takleef..zaher ki kaat zaher hi hai..
ReplyDeletekya khoob likha hai apne...
ReplyDeletedard mitane ka ek naya andaaz...
दोस्त मुझे लगता है ज़िन्दगी ऐसे ही इलाज करती है.. आदमी में इतनी कुवत नहीं होती कि बिना नया दर्द पाए पुराने दर्द को भूल जाये.......
ReplyDeleteकविता में परिवर्तन किया गया है | यदि दोनों कविता एक साथ रक्खी जाय तो अभिव्यक्ति बहुत ही अर्थपूर्ण हो सकती है |
ReplyDeletebeautiful poem
ReplyDelete