1.
वक़्त का एक मोड़ ऐसा भी
परे जिसके,
इंतज़ार बचता है वक़्त ख़त्म होने का।
2.
न अनादि है न अनंत समय का विस्तार।
भ्रम भर,
ख़त्म हो जाता है, शुरुआत के अनन्तर ही।
3.
(अ)काल नहीं धरता रूप, भूत या वर्तमान।
भविष्यत् काल,
कुछ नहीं, बस मन की उड़ान।