न कह सका अपनी, न सुना तेरी
ज़िन्दगी, हम रह गये अपरिचित ही।
साथ होने से ही, हैं हम दोनों
अजीब है नहीं, हमारा होना ही।
चन्द सांसें दी हैं तुमने मुझको
एक तुमको मिला मुझसे, मायना ही।
नहीं साम्य कहीं, मध्य हम दोनों
तुम घटते गए, मैं बढ़ा ही।
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