१.
सुबह,
निराश हो गयी।
मैं निकला, कह
लौट
आऊँगा शाम ढले।
शाम,
रोज़ सहती मुझको।
२.
तुम,
रूक नहीं पाए।
गिनती कर बंद,
वक़्त
पसरा है लथपथ।
गैरहाजिरी,
रही उपस्थित हरदम।
३.
सन्नाटा,
गहरी आवाज़ करता।
विरल खड्ड में,
आत्मा
बिखरी, सिकुड़ी है।
उठान,
खोता अतित्व अपना।