Friday, June 5, 2015

पुनः पुनः

१. 
दिन ढला 
पुनः पुनः 
शाम से रात ही, समय का सफर। 

२. 

इंतज़ार 
पुनः इंतज़ार 
तुमसे मिलना ही, एकमेव ख्वाहिश। 

३. 

छपाक छपाक 
उम्मीदों का सफर 
तैरता मैं अंतहीन। 

१. पूछो राम  कब करेगा  यह कुछ काम । २. कर दे सबको  रामम राम  सत्य हो जाए राम का नाम  उसके पहले बोलो इसको  कर दे यह कुछ काम का काम । ३. इतना ...