Wednesday, March 10, 2010

man nahi manata-----

                                                              ३.

मन नहीं मानता
तुम सिमटी हो ख्वाबो तक केवल
ख्वाबो  से परे तुम कुछ भी नहीं

मन नहीं मानता
प्रेम स्वप्न मात्र है

मन चाहता है
तुम आ मिलो
तुम्हारे संग जोडू मै जीवन धागे.
                                               ४.

मन नहीं मानता

अंत है वाक्य का पूर्ण विराम
शब्द  खो देते है अर्थ
वाक्य का भी अंत है.

मन चाहता है
मूक अर्थ भी प्रेषित हो
न शब्दों  न वाक्यों पर रुके कहना
संवाद रहे बिन भाषा भी.

१. पूछो राम  कब करेगा  यह कुछ काम । २. कर दे सबको  रामम राम  सत्य हो जाए राम का नाम  उसके पहले बोलो इसको  कर दे यह कुछ काम का काम । ३. इतना ...