हमारी हार के चर्चों से भर लिया दामन,
जीत के बाद भी मशरूफ हो हराने में।
तुम्हारे तौर तरीके तो कुछ निराले हैं
हम ही हम हैं अब भी, तेरे फ़साने में।
हमारी हार के मानी खत्म हुए,
वायदे तेरे, निकले सभी नकली।
बल, साहस, उद्यम, रास्ते नए
झूठ तेरे, तेरी क्रूर हंसी बस असली।
बेशर्म स्थापनाओं के, तुम शहंशाह हो,
मसीहा, बन्द करो लचर आवारापन।
करो कुछ वह भी, जो करने आए हो,
दो अभागे देश को कुछ अपनापन।
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