1.
मौन भी, वाचाल भी
एक मेव हित उसका,
सत्ता।
अखण्ड सत्ता।
2.
निपट अकेले की,
चाहत का अंत नहीं।
अश्मेध, उसका यज्ञ,
हम, सहर्ष समिधा।
3.
सीने में ख़ंजर है,
ख़ंजर उसका, अपना सीना।
उसके निमित्त है, देश! तेरा जीना।
मौन भी, वाचाल भी
एक मेव हित उसका,
सत्ता।
अखण्ड सत्ता।
2.
निपट अकेले की,
चाहत का अंत नहीं।
अश्मेध, उसका यज्ञ,
हम, सहर्ष समिधा।
3.
सीने में ख़ंजर है,
ख़ंजर उसका, अपना सीना।
उसके निमित्त है, देश! तेरा जीना।
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