Friday, July 24, 2020

शब्द नहीं सूझ रहा

पहली बार दिल टूटने से भी ज्यादा,
ज्यादा, संतान को पीड़ा में देख उठने वाली पीड़ा से, इतना कि शब्द नहीं सूझ रहा
चन्द रोटियां बिखरी रेल लाइन पर,
इतना दर्द दे रही
जैसे मर गए हों।
मर जाने पर खुद के
हो उठता होगा, ऐसा दर्द।

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