Thursday, July 14, 2011

ज़िन्दगी ठहरी है टूटे धागे पर.



सफ़ेद
झक्क सफ़ेद खादी सी 
जिंदगी, 
बुन रहा था, 
समतल पठार सा 
सफेदी में सदा रंगा.

ध्यान भटका 
धोखा निगाहों को
रंगीन 
रेशम उलझ गया हाथ 
रिश्ता बुनना चाहा मैंने .

सतर टूट गयी 
लय टुटा 
रुक गया बुनना 
थम गया जीवन .

तुमने कहा  
बांध 
आगे बढ़ो   
टूट जाए  जो 
जोड़ लो उसको  
छिपा गाँठ 
मन के कोने 
टूटे रिश्तों को कर लो अपना   

बाँध कर देखा, 

एक ही गाँठ  
छिप न पायी 
मेरे चादर,
एक टुटा हुआ रिश्ता  
न निभा मुझसे 

खोल देता हूँ  
गाँठ 
मन पे पड़ी 
जोड़ता नहीं टुटा धागा 
छोड़ देता हूँ बुनना

ज़िन्दगी ठहरी है 
टूटे धागे पर. 


 


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