बरस रहा है जमा गर्द, जमी धूल, थमा बादल
भीग के और भभका, अदबदा जलता आंवा ;
बार बार तसल्ली , बार बार थपकी
टूट भी न रूकती सिसकी, रुके न आक्रंदन ;
परिक्रांत मन न देखे, बने अनबने राह नए
जीवन दीप जले न जले, उठे न राख से अखनुख कोई.
१. पूछो राम कब करेगा यह कुछ काम । २. कर दे सबको रामम राम सत्य हो जाए राम का नाम उसके पहले बोलो इसको कर दे यह कुछ काम का काम । ३. इतना ...
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