मै एक नहीं !
मन ओ मस्तिष्क बांटता है मुझे.
मन ले जाता है
मुझे मेरे आदिम तक
सुन्दर बलिष्ठ विजेता...
नारी मन मेरा चाहे
जीत कर हासिल करे
मुझे मेरा पुरुष
सभ्यता देती है मन को कई तह
कई तह मन के
चाहे पुरुष कई
मस्तिष्क है पसंद मेरी
मन नहीं देखता ज़रुरतो की लिस्ट
चाहे मस्तिष्क तुम्हे
तुम दे सकते हो नाम/धाम
मिलती है सुरक्षा
मन चाहे तो बेकाबू हो सकता है कभी कभी
आवरण में !
मुझे पता है
नहीं चाह सकती तुम्हे
मन ओ मस्तिष्क से
न किसी और को
bahut sundar
ReplyDeletea femministic view.
good one