Tuesday, April 26, 2011

माँगा तुमने था थोड़ी बारिश

sतुमने मांगी थोड़ी मिट्टी
कोई सौप गया सारी धरती

चाहा तुमने थोड़ी हवा 
कोई दे गया अपनी साँसे

जीवन के अनंत में 
तुम्ही बने किसी का अम्बर

हो तुम खुद अग्नि धर्मा
हवि तुम्हारी है भावना सबकी

माँगा तुमने था थोड़ी बारिश
तम्हारे हो गए मेरे  सावन

तुम हो गए पूरे
रह गए हम सब  रीते  

4 comments:

  1. हो तुम खुद अग्नि धर्मा
    हवि तुम्हारी है भावना सबकी

    very nicely penned lines...bahut hi samanya shabd lekin unka pryog kaafi khoobsoorat hai...its gud to keep he language simple and easy.

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  2. thank you..........
    aj kal laga hu tumhara Patience check karne me lga hu.........kab bore hote ho tum log

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