Thursday, June 2, 2011

उदासी

१.

समय 
कुतरते
शाम
ढलते ढलते
उदासी
पा जाती है ;
मैं छिप नहीं पाता .

रात 
कटे 
टुकड़ा टुकड़ा 
मरते




No comments:

Post a Comment

१. पूछो राम  कब करेगा  यह कुछ काम । २. कर दे सबको  रामम राम  सत्य हो जाए राम का नाम  उसके पहले बोलो इसको  कर दे यह कुछ काम का काम । ३. इतना ...