Monday, June 20, 2011

गज़लें-2

कोई नहीं शिकायत, कोई नहीं गिला
मुझको मिला वही, जो दुनिया का सिलसिला .

मेरी चिता से रौशन, जगमग जो तेरे ख्वाब
तेरी कलम को दूँ मैं, मेरे सारे किताब .

महफ़िल  में मेरी अपनी, बदनाम हो गया हूँ
कहने लगे हैं लोग, नीलाम हो गया हूँ .

बादल पे पैर रख, थी जिंदगी परवाज़
कुमकुम भरा था कल, रीता हुआ है आज .

मुझपे थी भारी , मेरी उम्मीद की उठान  
गिरता गया हूँ हरदिन, मेरी जिंदगी ढलान .

तुमसे नहीं शिकायत, तुमसे नहीं गिला
तुमने किया वही जो दुनिया का सिलसिला .


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