Friday, June 10, 2011

गज़लें ...1.

रात गत होते, बारहा याद आए तुम
 पहले पहल आज ही, भूला तुमको .

मेरे अफ़साने पे, नहीं मुझको ही यकीं 
जला जो दिल , धुआं लगा तुमको .

तुम्हारे रंग कई थे,हैं, औ रहेंगे हरदम 
उदास आँख मेरी, देगी न जला तुमको .

मन था पत्थर  , अब तरल पिघला 
खुद में कैद, बौना सा दिखा  तुमको .

मलाल चाँद करेगा, रात कर रौशन
तोड़ते ख्वाब सब, ख्याल न आया तुमको .











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