Wednesday, June 29, 2011
Sunday, June 26, 2011
क्या कुछ
कितना कुछ है
मेरा.
ये आदमी,
मेरी किस्मत बारह पंजों से नोचता
शफ्फाक मेरे आईने से झांकता है मुझे,
ये औरत ,
तमाम मर्दों की तह में रख नीचा
अस्तित्व की नोंक से खरोंचती है मुझे,
क्या कुछ
कितना कुछ है
मेरा
रक्त मेरा,
खौलता रहा - भाप बन उड़ता रहा
सराबोर तिक्त स्याह से करता है मुझे,
उन्छुआ ख्वाब ,
तमाम उम्र करता रहा पहरेदारी,
जल धू धू एकाकी कर गया है मुझे,
क्या कुछ
कितना कुछ है
मेरा
मेरा मैं , मेरी औरत,रक्त, ख्वाब मेरे
कुछ भी
क्या है मेरा.......
Saturday, June 25, 2011
Friday, June 24, 2011
Wednesday, June 22, 2011
Tuesday, June 21, 2011
अब भी मैं
मैं अब भी हूँ
बड़ा विशेषज्ञ,
मनोभावों का,
दुःख का ,
कष्ट का ,
पीड़ा का.
अब भी मैं
देख लेता हूँ
मृत्यु छाया,
निराशा के गर्त में पड़े हुओं की दशा ,
एक प्रेम से विचलित की दूसरी दौड़,
एक साथ कई को बाँध रखने की ललक .
अब भी मेरे पास इलाज है
इन सबका
जिन्हें अपना नहीं पाता
मैं खुद के लिए..
Monday, June 20, 2011
गज़लें-2
कोई नहीं शिकायत, कोई नहीं गिला
मुझको मिला वही, जो दुनिया का सिलसिला .
मेरी चिता से रौशन, जगमग जो तेरे ख्वाब
तेरी कलम को दूँ मैं, मेरे सारे किताब .
महफ़िल में मेरी अपनी, बदनाम हो गया हूँ
कहने लगे हैं लोग, नीलाम हो गया हूँ .
बादल पे पैर रख, थी जिंदगी परवाज़
कुमकुम भरा था कल, रीता हुआ है आज .
मुझपे थी भारी , मेरी उम्मीद की उठान
गिरता गया हूँ हरदिन, मेरी जिंदगी ढलान .
तुमसे नहीं शिकायत, तुमसे नहीं गिला
तुमने किया वही जो दुनिया का सिलसिला .
Friday, June 17, 2011
आखिरी अनुरोध..2.
अब जब
आ छूने को है मानसून हमें
मेरी मिन्नत है
कहीं और जा बरसे बादल
तुम बिन
क्यूँ बिज़ली क्यूँ बारिश .
तुम
मांग लेना
और से सौगात छप छप की
मेरी मिन्नत है
तुम नहीं,
न सावन आए अबकी
कभी नहीं हम साथ मोड़ से गुज़रे
१.
आजकल
बारिश नहीं होती,
मन नहीं आद्र .
शुष्क आँखों से
कोई
मुलाक़ात नहीं होती.
२.
ज्वार उतरता है
प्रेम भंग-सा .
छोड़ देता है
कीचड़,
मलाल
खुद ख़त्म होने का .
३.
आखिरी बार
जब कहा अलविदा हमने
कभी मैं नहीं था
कभी तुम अनुपस्थित.
साथ साथ
विदा नहीं
हम,
कभी नहीं
हम साथ मोड़ से गुज़रे
Thursday, June 16, 2011
Wednesday, June 15, 2011
Friday, June 10, 2011
गज़लें ...1.
रात गत होते, बारहा याद आए तुम
पहले पहल आज ही, भूला तुमको .
मेरे अफ़साने पे, नहीं मुझको ही यकीं
जला जो दिल , धुआं लगा तुमको .
तुम्हारे रंग कई थे,हैं, औ रहेंगे हरदम
उदास आँख मेरी, देगी न जला तुमको .
मन था पत्थर , अब तरल पिघला
खुद में कैद, बौना सा दिखा तुमको .
मलाल चाँद करेगा, रात कर रौशन
तोड़ते ख्वाब सब, ख्याल न आया तुमको .
Wednesday, June 8, 2011
जलना आत्मा का.........
रक्त जल,
बने कालिख
तब
बंद हो शायद
सुलग जलना आत्मा का ?
भष्म
सब स्वप्न कर
आहुति दी
संकल्पों की ;
फिर भी
धुआं धुआं
सा जलता क्यों है .
क्या
सचमुच है
कोई इश्वर,
लेता हुआ बदला .
धुआं धुआं
बन
छोड़ रही है,
आत्मा
मेरा संग
एक दिन आएगा
धुआं
ख़त्म हो जायेगा धुंए की तरह
साथ में मेरा मैं.
Saturday, June 4, 2011
अधूरे स्वप्न.....1.
तुम नाराज़ हो, उठने लगती,
समेट तुम्हे बाहों के घेरे
सुनाता
कई बार कहानी वही
नायिका जिसकी, तेरी परछाई .
बंद मुट्ठी में लाता,
थोड़े बादल..थोड़ी बारिश..
मलता होंठो पे तुम्हारे थोड़ी बर्फ
बाल कर गीले, छू लेता
खा लेता थोड़ी डांट तेरी .
सारी रात
साथ बुनते गीत
सारे दिन तुम अलसाती .
पढ़ते हम
कम किताबें-
बांया मैं, दांया पन्ना तुम .
..............................................
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आज
जब किताबों की
की चिंदी,
अधूरे ख्वाबो पे नहीं आया रोना...
Friday, June 3, 2011
सड़कछाप लड़की-1.
सड़कछाप लड़की
सुलभ सबको
सबसे ही सहज
नहीं दबाती
अपनी हंसी
नहीं छिपाती
अपनी ख़ुशी
सड़कछाप लड़की
बनाती सफ़र को हसीं
अनेक से प्रेम,
मित्र अन्तरंग कई
सड़कछाप लड़की ;
रिक्त/ अपूर्ण कई
को करती पूर्ण .
सड़कछाप लड़की
ज़रूरी है .
Thursday, June 2, 2011
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हर सुबह, जग कर लगता है समय का अंत नहीं, नस दिमाग की औ दिल सीने में हर सुबह, धडकते मिलते हैं .