कोई नहीं शिकायत, कोई नहीं गिला
मुझको मिला वही, जो दुनिया का सिलसिला .
मेरी चिता से रौशन, जगमग जो तेरे ख्वाब
तेरी कलम को दूँ मैं, मेरे सारे किताब .
महफ़िल में मेरी अपनी, बदनाम हो गया हूँ
कहने लगे हैं लोग, नीलाम हो गया हूँ .
बादल पे पैर रख, थी जिंदगी परवाज़
कुमकुम भरा था कल, रीता हुआ है आज .
मुझपे थी भारी , मेरी उम्मीद की उठान
गिरता गया हूँ हरदिन, मेरी जिंदगी ढलान .
तुमसे नहीं शिकायत, तुमसे नहीं गिला
तुमने किया वही जो दुनिया का सिलसिला .
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