Friday, June 3, 2011

सड़कछाप लड़की-1.

सड़कछाप लड़की

सुलभ सबको
सबसे ही सहज

नहीं दबाती
अपनी हंसी
नहीं छिपाती
अपनी ख़ुशी

सड़कछाप लड़की
बनाती सफ़र को हसीं

अनेक से प्रेम,
मित्र अन्तरंग कई
सड़कछाप लड़की ;
रिक्त/ अपूर्ण कई
को करती पूर्ण .

सड़कछाप लड़की
ज़रूरी है .



4 comments:

  1. Bitter truth...yet a necessary truth...

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  2. ye aisa topic hai jis par mai fir likhna chahunga... ye kavita adhuri hai..... dekhte hai kab puri hoti hai...hoti bhi hai ya nahi....

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  3. shirshak ka arth kuchh aur vistrit kariye. bahut hi achhi kavita hai aur vishay vastu bhi kuchh alag si hai.
    bahut hi umda kriti jo apni purnata ko talash rahi hai.

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