रात गत होते, बारहा याद आए तुम
पहले पहल आज ही, भूला तुमको .
मेरे अफ़साने पे, नहीं मुझको ही यकीं
जला जो दिल , धुआं लगा तुमको .
तुम्हारे रंग कई थे,हैं, औ रहेंगे हरदम
उदास आँख मेरी, देगी न जला तुमको .
मन था पत्थर , अब तरल पिघला
खुद में कैद, बौना सा दिखा तुमको .
मलाल चाँद करेगा, रात कर रौशन
तोड़ते ख्वाब सब, ख्याल न आया तुमको .
No comments:
Post a Comment