Sunday, September 22, 2013

तुम नहीं, कहीं भी मेरे भीतर

१.

तुम नहीं,  कहीं भी मेरे भीतर
रखूं कहाँ,
दिल नहीं, कहीं भी मेरे भीतर।

२.

टीस नहीं, न दर्द कोई अब 
पता है,
ज़िन्दगी आसान बहुत अब। 

३. 

मज़बूत बहुत, बहुत मज़बूत मन 
दरक जाता,
अचानक, कोई अनचिन्हा मन।  


No comments:

Post a Comment

१. पूछो राम  कब करेगा  यह कुछ काम । २. कर दे सबको  रामम राम  सत्य हो जाए राम का नाम  उसके पहले बोलो इसको  कर दे यह कुछ काम का काम । ३. इतना ...