१.
कब मानोगे मरा
धड़कन रुके, मस्तिष्क ठप
या, पुतलियाँ हो ठंडी।
क्या कहोगे,
मर गयी हो चाह,
मरने की भी।
२.
बड़ा सवाल लेकिन
कब मानोगे जिंदा।
३.
सवाल है कि, ज़िन्दगी मौत से परे क्या।
४.
उलझन मेरी,
ज़िन्दगी बिना, मौत क्या संभव।
कब मानोगे मरा
धड़कन रुके, मस्तिष्क ठप
या, पुतलियाँ हो ठंडी।
क्या कहोगे,
मर गयी हो चाह,
मरने की भी।
२.
बड़ा सवाल लेकिन
कब मानोगे जिंदा।
३.
सवाल है कि, ज़िन्दगी मौत से परे क्या।
४.
उलझन मेरी,
ज़िन्दगी बिना, मौत क्या संभव।
बहुत ही सुन्दर बेहतरीन प्रस्तुती,धन्यबाद।
ReplyDeletepahle ye bataiye ki iska context kya hai .. i mean kya kisi specific theme par likhi gai hai ??
ReplyDeleterajendra kumar saab.. bahut bahut shukriya
ReplyDeletebhavana i am in eternal love with 'death'.
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