चंद बातें नौकरी से.…
१.
आज कल मेरा भी दिन है,
हर किसी का मुक़र्रर है, इक दिन।
२.
कुंकुआना औ भौंकना,
इतनी ही, भाषा मेरी।
३.
सफ़ेद मख्खन, काला स्वाद,
ज़िन्दगी, दुहरा मसाला।
४.
बखूबी याद है, मुझे अपनी चीर फाड़,
नहीं दूजा अब, मुझसे बेहतर सर्जन।
५.
नहीं रही किसी को, मूछें
सवाल किसकी कितनी बड़ी पूँछ।
१.
आज कल मेरा भी दिन है,
हर किसी का मुक़र्रर है, इक दिन।
२.
कुंकुआना औ भौंकना,
इतनी ही, भाषा मेरी।
३.
सफ़ेद मख्खन, काला स्वाद,
ज़िन्दगी, दुहरा मसाला।
४.
बखूबी याद है, मुझे अपनी चीर फाड़,
नहीं दूजा अब, मुझसे बेहतर सर्जन।
५.
नहीं रही किसी को, मूछें
सवाल किसकी कितनी बड़ी पूँछ।
खुबसूरत अभिवयक्ति.....
ReplyDeletehmm ab samjh aaya sahi context .. par kya noukarshaah itne gaye beete hain ???
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