तुम्हारे लिए टूट पड़ता है सागर
किनारे विलीन हो जाते है अक्सर
रेत ही रेत पर बांधता मै मंसूबे
मंसूबो की खातिर तुम्हे चाहता हूँ
किनारे विलीन हो जाते है अक्सर
रेत ही रेत पर बांधता मै मंसूबे
मंसूबो की खातिर तुम्हे चाहता हूँ
१. पूछो राम कब करेगा यह कुछ काम । २. कर दे सबको रामम राम सत्य हो जाए राम का नाम उसके पहले बोलो इसको कर दे यह कुछ काम का काम । ३. इतना ...
wonderful poetry
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