मै चलता रहा हूँ
मै कहता रहा हूँ
मेरे चलने से बोझिल हो गयी धरती
मेरे कहने से बासी हो गया दिन
मै चाहता हूँ रहू हल्का
मै चाहता हूँ रहू ताज़ा
मै तुम्हे चाहता हूँ
मै कहता रहा हूँ
मेरे चलने से बोझिल हो गयी धरती
मेरे कहने से बासी हो गया दिन
मै चाहता हूँ रहू हल्का
मै चाहता हूँ रहू ताज़ा
मै तुम्हे चाहता हूँ
bahut sundar kavita
ReplyDeletepar chahte ho kisi ko to pachhtaoge