१.
बंद दराज़ से निकल
छा जाता है ,
धुंधले अंधियारे सा
घेर लेता है
अकेलापन.
२.
स्याह
मन का फैलाता हुआ
चुप चाप पैठ जाता है
मन पर छाया
अकेलापन.
३.
साथ तुमको लिए चलता है
अकेले नहीं आता
अकेलापन.
har taraf har jagah beshumar aadmi;
ReplyDeletefir bhi tanhayeeyo ka shikar aadmi!!
itna akelapan kyun hai bhai???
Mere jaane ka kisi ko koi gham nahi hoga,
ReplyDeleteBas tanhaaiya roengi, mera ham-safar chala gaya...