तुम हरीतिमा लाती हो दूब की
तुम आद्रता लाती हो ओस की
तुम लाती हो ख्वाबो की रेल
तुम लाती हो गुनगुनी नींद
मै घास पर सो जाना चाहता हूँ
मै ओस कणों से भीग जाना चाहता हूँ
मै नींद भरा ख्वाब चाहता हूँ
मै तुम्हे चाहता हूँ
तुम आद्रता लाती हो ओस की
तुम लाती हो ख्वाबो की रेल
तुम लाती हो गुनगुनी नींद
मै घास पर सो जाना चाहता हूँ
मै ओस कणों से भीग जाना चाहता हूँ
मै नींद भरा ख्वाब चाहता हूँ
मै तुम्हे चाहता हूँ
अनूठी उपमा...
ReplyDeleteएक अनुपम कविता....
'' मै नीद भरा ख्वाब चाहता हूँ ''-सुन्दर . कविता प्रेम के ऒस कणों से भीगी हुयी .
ReplyDelete'' मै नीद भरा ख्वाब चाहता हूँ ''-सुन्दर . कविता प्रेम के ऒस कणों से भीगी हुयी .
ReplyDelete