चलते चलते हो जाना रात,
यूं तो कोई कारण नहीं चिंता का
गर रात ले आए विश्राम
सूर्यास्त में खो गई रोशनी को स्वप्न में खोजने का हो उपक्रम.
सुबह की खातिर
रात कट जाती है
कई रात कट जाती है .
भय का कारण है अँधेरा
जो दैव थोप देते हैं
रात जो आसुरी माया हो
रात जिसमे जिन्न ठग लेते हों ख्वाबों को चाहतों को
रात. जिसकी चाहत हो रात के अनंत की.
रात जिसे राजा ने कह रखा दिन है
अँधेरा जिसे प्रकाश नाम दिया है
ऐसे अँधेरे से डरता हूँ मैं
इस रात से खूब डरता हूँ मैं .
No comments:
Post a Comment