Saturday, February 13, 2021

तमाशा 

गुजर रहे वक़्त का नाम है, तमाशा।

गटर 

सार्वजनिक जीवन है, गटर। 

खेल 

तमाम रियाया संग हो रहा है, खेल। 

जेल 

बिना चहारदीवारी बिन दरवाज़ा जहालत की खुली जेल। 

नेता 

कौन ?

देश 

बेहतर है मौन। 



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