न ऊष्मा न विस्तार न तरल
प्रेमहीन बोझिल।
नहीं दे सकता हूँ
उष्णता संबंधों को,
उल्लास का आकाश,
संबंधों का उत्प्लावन
प्रेम की तरलता
धरा का आधार।
पंचतत्वहीन मैं
क्रियाहीन पड़ा हुआ
समझता न सोचता हूँ
व्यर्थ हो जाने का अनुभव आभास।
१. पूछो राम कब करेगा यह कुछ काम । २. कर दे सबको रामम राम सत्य हो जाए राम का नाम उसके पहले बोलो इसको कर दे यह कुछ काम का काम । ३. इतना ...
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