Monday, February 8, 2021

न ऊष्मा न विस्तार न तरल 

प्रेमहीन बोझिल।

नहीं दे सकता हूँ 

उष्णता संबंधों को,

उल्लास का आकाश,

संबंधों का उत्प्लावन 

प्रेम की तरलता 

धरा का आधार। 


पंचतत्वहीन मैं 

क्रियाहीन पड़ा हुआ 

समझता न सोचता हूँ 

व्यर्थ हो जाने का अनुभव आभास। 






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