Monday, May 30, 2011

आखिरी अनुरोध

आखिरी अनुरोध 
तुमसे,
जिसपे 
हक जताता था कभी.

आखिरी अनुरोध 
मेरा ;
जिसको 
बहलाया करती थी 
तुम ,जिसे 
हक था भरमाने का .

आखिरी अनुरोध
तुमसे,

तुमसे परे,
दुनिया
जो कभी मेरी थी 
ग्रहण उसे न लगाओ

बचा खुचा है,
जो नहीं जल सकता 
और नहीं सुलगाओ .
 
तुमसे भागता हूँ
तुम ही तुम, न नज़र आओ .

आखिरी अनुरोध
मेरा,
जिसको क़त्ल किया तुमने

आखिरी अनुरोध
तुमसे,

पूरा ही मर जाने दो
जिंदगी दहशत है
पूरा ही मर जाने दो

अब और न भरमाओ
अब और न नज़र आओ .



  




   

1 comment:

  1. ye kafi shandar hai..mere khyaal s elikhte samay kuchh particualr cheezein aapke man mein chal rahi thin....

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