१.
बना, दो तसवीरें,
छिपा रखा है तुमने
एक मन में अपने ,
दूजा लगा रखा,
चहरे पर मेरे .
२.
मर,
ज़िन्दगी की तलाश कर लूं .
इज़ाज़त तुम्हारी
मांगता हूँ.
३.
तुम्हारा मर्द चेहरा,
मैं नहीं
मेरे भीतर
खुद की न खोजबीन करो
कपडे बदल भी
सहेज देता हूँ मैं.
खुबसूरत, गहरी और भाव-पूर्ण अभिव्यक्ति ...
ReplyDeleteपढ़ कर बहुत अच्छा लगा
"इज़ाज़त तुम्हारी
मांगता हूँ,
जीवन के
नव-सृजन के लिए..."
शुक्रिया मनीष.. हर बार अच्छा बना वापस करते हो..
ReplyDeleteतुम्हारा मर्द चेहरा,
ReplyDeleteमैं नहीं
मेरे भीतर
खुद की न खोजबीन करो
कपडे बदल भी
सहेज देता हूँ मैं. bhaut hi sundar...
ये हुनर तो आप ही से सीखा है :)
ReplyDelete...आभार