हर सुबह,
जग कर लगता है
समय का अंत नहीं,
नस दिमाग की
औ
दिल सीने में
हर सुबह,
धडकते मिलते हैं .
१. पूछो राम कब करेगा यह कुछ काम । २. कर दे सबको रामम राम सत्य हो जाए राम का नाम उसके पहले बोलो इसको कर दे यह कुछ काम का काम । ३. इतना ...
" दुहराता खुद को रोज,
ReplyDeleteलौटता नहीं पर कभी...
समझना कठिन जिसे,
...समय वही "
बहुत ही जीवंत विचार...
ReplyDeleteसुन्दर....
ReplyDeleteशुक्रिया सुषमा
ReplyDeleteमनीष बहुत अच्छे
bhaut hi khubsurat....
ReplyDeleteसागर बहुत बहुत शुक्रिया
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