१.
यूँ नई सुबह
इजाद की हमने,
घुप्प अँधेरे में
जला रखा खुद को....
२.
हँसता रहता हूँ
मैं तो
चुप रहता है
अन्दर जो अनचीन्हा..
१. पूछो राम कब करेगा यह कुछ काम । २. कर दे सबको रामम राम सत्य हो जाए राम का नाम उसके पहले बोलो इसको कर दे यह कुछ काम का काम । ३. इतना ...
अदभुत रचना...
ReplyDeleteतुम्हारा..स्नेह भाई...
ReplyDelete"तुम्हारा स्नेह भाई...
ReplyDeleteएक ऊर्जा है जीवन की,
शक्ति है नव-सृजन की,
देती ठंडा सकूँ मुझे,
प्रेरणा है जीवन की,
यद्यपि की तुम पास नहीं,
फिर भी आशीष बन कर,
संघर्ष का साथी बनता,
तुम्हारा स्नेह भाई..."
रजनीकांत भैया को सादर समर्पित...
----मनीष