१.
घूमती धरती
छलांग लगा जाता हूँ,
तेरी कक्षा से परे
गिर जाता हूँ ,
शून्य में कहीं !
२.
धुंए में बादल
बनाते थे,
वह बचपन था .
बादल को धुंआ धुआं
देखा आज.
३.
मटमैले पहाड़ पर हरियाली
बेतरह तेरी याद आती है .
४.
कैनवास ,
धरती क्षितिज औ आकाश
भागते चित्र
सजोयें लम्हों तक
ज़िन्दगी सिमटते जाना.
५.
उदास मुस्कान फूलों की,
मेरे भीतर
ततैया मर जाता है .
behtreen prstuti...
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया..........
ReplyDelete"धरती क्षितिज औ आकाश
ReplyDeleteभागते....
चित्र संजोये लम्हों तक..."
बेहतरीन और अद्भुत