0५. ०८. २०२०
अज्ञेय शांति या शून्य व्याप जाता है
ऐसे मौकों पर,
जब दिल टूटता है और आवाज़ नहीं आती
वक़्त के कूड़ेदान में फेंक खुद को
छोड़ देते हैं हम
उम्मीद।
उम्मीद, लड़ पाने की
उम्मीद, टिक पाने की
जब टूट जाती है
तभी उठ बैठो।
कराहो, पुकारो, दो बद्दुआएं या मांगो कोई मन्नत।
कर नहीं सकते तो, बोलो
नहीं बोल सकते तो, लिखो
कुछ नहीं कर सकने जैसा कुछ नहीं
सर पटको
उपवास करो
चलो पैदल या दौड़ो।
कुछ नहीं करने से तुम्हारी मौत भी रहेगी मुर्दा
हो ज़िन्दा जब तक
करो कुछ।
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