स्वर्ग का द्वार हो
धरती से छूटा नेह
जदपि तुम निर्जल मेह
तुझको सर्वस्व अर्पण
धूम धाम से तर्पण
रोज़गार दो या भूसी-चारा
खोलूं मुंह जो, दो कारा
गाँव तेरे शहर तेरा
नाम तेरा पुण्य मेरा
तेरे ही अखबार सारे
तू ही बाज़ार तारे
भूख हो अकाल हो
तेरा मायाजाल हो
तेरी जय-जयकार है
ताज़ा माल डकार है
तेरी मूंछें तेरी दाढ़ी
मेरी मूर्छा नित् बाढ़ी
कीचण गुलाब है
तेरा इक़बाल है
दी हमें पहचान है
झूठ नया ईमान है
भुकमरी का नेवता है
तू हमारा देवता है
झूठ है फरेब है
हिंसा, अतिरेक है
तू कहे तो सब चंगा
तू कठौती तू ही गंगा
वाद न संवाद है
तेरा आशीर्वाद है।
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